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विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती पूजन-महोत्सव
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ‘बसन्त पंचमी’ (सरस्वती) पूजन
गौरी चतुर्थी का व्रत माघ शुक्ला चतुर्थी के दिन होता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की चौथ उमा ने अपने अंगों से अपने ही गुणों द्वारा फिर वही सृष्टि रच दी जो कि पहिले योगिनियों के साथ रची थ
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की ‘‘मौनी अमावस्या” के रूप में प्रसिद्धि है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण कर स्नान, दान करने का विशेष महत्व है। मौनी अ
पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में ‘‘लोहड़ी” के नाम से मकर संक्रान्ति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिये लोहिता नाम की एक राक्षसी को गोकुल भेजा था। जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ‘‘मकर संक्रान्ति” कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। तथा दक्षिणायन को
संकष्टी चौथ का व्रत माघ मास की कृष्णा चतुर्थी को किया जाता है। सूत जी शौनक आदि ऋषियों से कहते हैं, पाण्डु पुत्र युधिष्ठिर अपने चारों भाई (भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव) एवं द्रौपदी के साथ
माघ स्नान-भारतीय संवत्सर का ग्यारहवाँ चान्द्र मास और सौर मास का दसवाँ माघ मास कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्र युक्त पूणिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा है। धार्मिक दृष्टि से इस मा
यह व्रत पौष शुक्ला तृतीया को किया जाता है। इस महान् तिथि को जगत् माता गौरी जी का राजोपचार से पूजन किया जाता है। यह प्रधानतया स्त्रियों का पर्व है। गौरी पूजन के प्रभाव से पति-पुत्र चिरंजीवी हो
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को भगवान लीला पुरूषोत्तम श्री कृष्ण के श्री मुख से गीता का प्रादुर्भाव हुआ। जो सब शास्त्रों वेद उपनिषदों का सार है। विश्व में आज इसके समान उच्च कोटि
भगवान् दत्तात्रेय जी का जन्म मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को प्रदोष काल (सायंकाल) की बेला में हुआ था। महायोगीश्वर दत्तात्रेय जी भगवान् विष्णु के अवतार हैं, अतः इस दिन बड़े उत्सा