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इस दिन चौकी में मनुष्य के आकार का गिरिराज बनाकर पूजन करना चाहिए। रात्रि में गौ पूजन एवं बछड़े का पूजन तथा गायों को गुड़ मिठाई खिलाना चाहिए। ऐसा करने से गिरिराज भक्ति प्रदान करते हैं। गिरिराज पूजन गोपों से कराकर भगवान कृष्ण ने एक नया वास्तविक दर्शन कराया। जब गोपों के द्वारा कन्हैया ने गोवर्धन पूजन कराया तब इन्द्र क्रोधित होकर मेघों द्वारा वज्र के द्वारा व्रत को नष्ट करना चाहा तब तो गोपाल ने बायें हाथ की सबसे छोटी अंगुली पर धारण कर सबकी रक्षा की। इन्द्र ने हार मानकर क्षमा मांगी। फिर भी श्रीकृष्ण की सरलता एवं निरभिमानता देखिये। इन्द्र से बोले-आपकी पूजा का परित्याग कर गोवर्धन पूजन किया। आपने जो दण्ड देना चाहा वह उचित था। परन्तु मैं क्या करूं। मेरी शरण में सब गोप आ गये। मेरी लाचारी है, मैं आपका छोटा भाई हूँ। यदि आप प्रसन्न हैं, तो यह उत्सव गोवर्धन पूजा के लिये गोपों को दे दीजिये। (यदि प्रसन्नों देवेश उत्सवोऽयं प्रदीयताम्)। भगवान श्री कृष्ण का दिग्दर्शन था। यह अहंकार ही पहाड़ है। इसे भी ईश्वर समझोगे तो उठा सकते हैं। ईश्वर तो हल्के से भी हल्का है। अपने आप ही उठ जायेगा। यदि ईश्वर समझोगे तो अहंकार रूपी पर्वत आपको दबाकर समाप्त कर देगा। सर्वत्र ईश भावना रखो। प्रभु का इन्द्र के प्रति वाक्य तो देखिये। तवाज्ञापरिपालकः- मैं छोटा भाई हूं। तेरी आज्ञा का पालन करने वाला हूं।