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Baba Khatu Shyam Ekadashi

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Shravana-Putrada Ekadashi Vrat Katha and Vrat Vidhi in Hindi


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16.08.2024-Friday (Shukla Paksha)

श्री कृष्णजी बोले- हे युधिष्ठिर ! श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पवित्र है। यह पुत्र की इच्छा पूर्ण करने वाली है। इस कारण इसका नाम पुत्रदा भी प्रसिद्ध है। इसमें गौ माता का पूजन करना चाहिए। इसके महात्म्य की कथा ऐसे है- एक महीमती नगरी थी। उसमें महीजीत नाम का राजा राज्य करता था। बड़ा धर्मात्मा था परन्तु पुत्रहीन था। उपाय बहुत फिए परन्तु सब व्यर्थ गये, दिल का कांटा न निकल सका। राजा को शोक युक्त देखकर मन्त्रियों को दुःख हुआ और वह लोमस ऋषि की शरण में गये। दण्डवत प्रणाम कर विनय करने लगे- हमारे राजा के यहां पुत्र नहीं है। बेचारा शोक भवन में पड़ा है। आप कृपा करके कोई उपाय बतलाइये जिससे उसके घर कुल दीपक का प्रकाश हो जाये। मुनि ने दिव्य दृष्टि से उसके पूर्व जन्म का कर्म देखकर कहा- तुम्हारा राजा पिछले जन्म में महा कंगाल था और कुकर्मी था। एक दिन घूमते-घूमते उसे कहीं जल न मिला और न अन्न मिला। दूसरे दिन एक सरोवर मिला वहां एक प्यासी गौ जल पीने आई, उसे लाठी मार कर भगा दिया। उस महापाप से तुम्हारा राजा निःसन्तान हुआ है और जिस दिन वह भूखा प्यासा रहा, रात्रि को चलते-चलते जागरण भी हो गया, भूखा था भगवान का स्मरण कर भोजन मांगता था। उस दिन श्रावण शुक्ला एकादशी व्रत उसने भूल से कर दिया। परन्तु वह दूध, पुत्र और धन देने वाली पुत्रदा एकादशी थी।

उसके प्रभाव से राजा को राज्य मिला और गौ के श्राप ने उसे निःसन्तान कर दिया। यदि आप लोग प्रजा सहित श्रावण शुक्ला एकादशी का विधि सहित व्रत करो और फल अपने राजा को प्रदान करो तो निश्चय उसके घर पुत्र होगा। व्रत की विधि यह है- गौओं का पूजन करना, उनको मधुर जल और मधुर फलों से प्रसन्न कर द्वादशी के दिन उन्हें पेट भर के लड्डू और पूरी इत्यादि मिष्ठान का भोग लगाना उनका आशीर्वाद और पुत्रदा एकादशी का महात्म्य एक समान है। मुनि की शिक्षा से मन्त्रियों ने प्रजा सहित और राजा ने परिवार सहित पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रात्रि को कीर्तन किया। गौओं का पूजन कर पुत्र प्राप्त किया।

फलाहार- इस दिन गुड़ का सागार लेना चाहिए।