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Baba Khatu Shyam Ekadashi

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Indira Ekadashi Vrat Katha and Vrat Vidhi in Hindi


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28.09.2024- Saturday (Krishna Paksha)

द्वारकानाथ जी बोले- हे धर्मपुत्र ! आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम इन्द्रा है। इसके महात्म्य की एक कथा कहता हूँ- एक समय देवर्षि नारद ब्रह्म लोक से यम लोक में आये। एक धर्मात्मा राजा को उसने यम लोक में दुःखी देखा, दिल में दया आई। उसका भविष्य कर्म विचार कर महिष्मती नगरी में आये जहाँ उस राजा का पुत्र राज्य करता था। राजपुत्र को कहने लगे तेरे पिता को मैं यमराज की सभा में बैठा देख आया हूँ और उसके पूर्व कर्मों को भी मैं देख चुका हूँ। समस्त शुभ कर्म उसके स्वर्ग को देने वाले हैं। एक एकादशी व्रत के बिगड़़ जाने से उन्हें यम लोक मिला है। यदि तुम इन्द्रा एकादशी का व्रत कर पिता के नाम संकल्प कर दो तो उसे अवश्य इन्द्रलोक मिलेगा। उस व्रत की शुभ विधि यह है, दशमी के दिन पितृ की श्रद्धा करके ब्राह्मणों को प्रसन्न करें। गौ ग्रास कुत्ते कौवे की सदृश छोटा सा न बनायें अर्थात माता समझकर उसका यथा शक्ति पेट पूजन कुछ अधिक करना चाहिए। मिथ्या भाषण न करे रात्रि को भूमि पर शयन करें प्रातः श्रद्धा सहित भक्ति से एकादशी का व्रत करें, ब्राह्मणें को यथा शक्ति दक्षिणा देकर फलाहार का भोग लगावे, गौमाता को भी मधुर फलों से प्रसन्न करें, रात्रि को जागरण कर विष्णु भगवान का पूजन करें। ऐसी शिक्षा देकर नारद जी अन्तर्ध्यान हो गये। राजा ने इन्द्रा एकादशी का व्रत परिवार सहित किया। फल उसका ब्राह्मणों के सामने पिता को प्रदान किया। उस समय आकाश से पुष्पों की वर्षा हुई, ऊपर को दृष्टि की तो राजकुमार का पिता पुष्पक विमान पर चढ़कर देवलोक को जा रहा था। फलाहार - इस दिन शालिग्राम भगवान का पूजन करे। इस दिन तिल गुड़ का सागार होता है।