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विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती पूजन-महोत्सव
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ‘बसन्त पंचमी’ (सरस्वती) पूजन एवं महोत्सव मनाना चाहिये।
इस दिन विशेष रूप से देवी सरस्वती का पूजन करना चाहिए। प्रत्येक मानव समाज का परम कर्तव्य है कि वह माघ शुक्ला पंचमी को प्रातः काल उठकर शौच आदि नित्य क्रि
गौरी चतुर्थी का व्रत माघ शुक्ला चतुर्थी के दिन होता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की चौथ उमा ने अपने अंगों से अपने ही गुणों द्वारा फिर वही सृष्टि रच दी जो कि पहिले योगिनियों के साथ रची थी। इस कारण इस चतुर्थी को सब मनुष्यों को चाहिए कि उसको पूजे। पर स्त्रियों को तो इस व्रत को अवश्य ही करना चाहिए। भक्ति भाव से इकट्ठे किये गये कुकुम और अलक्तक एवं कंकड़ के साथ रक्त सत्रों से लाल पुष
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की ‘‘मौनी अमावस्या” के रूप में प्रसिद्धि है। इस पवित्र तिथि पर मौन रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण कर स्नान, दान करने का विशेष महत्व है। मौनी अमावस्या को यदि सोमवार आ जाय तो इस तिथि का और भी महत्व बढ़ जाता है। इस तिथि को त्रिवेणी प्रयाग राज में तीन करोड़ दस हजार अन्य तीर्थों का समागम होता है। इसलिये प्रयाग राज में स्नान दान की अपार महिमा
पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में ‘‘लोहड़ी” के नाम से मकर संक्रान्ति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिये लोहिता नाम की एक राक्षसी को गोकुल भेजा था। जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के फलस्वरूप लोहिणी का पर्व मनाया जाता है। सिन्धी समाज भी मकर संक्रान्ति के एक दिन पूर्व इसे ‘‘लाल लोही” के रूप में मनाता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुस
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ‘‘मकर संक्रान्ति” कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है, इस तरह मकर संक्रान्ति एक प्रकार से देवताओं का प्रभाव काल है। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। कहा जाता है कि इस अवसर पर किया ग
संकष्टी चौथ का व्रत माघ मास की कृष्णा चतुर्थी को किया जाता है। सूत जी शौनक आदि ऋषियों से कहते हैं, पाण्डु पुत्र युधिष्ठिर अपने चारों भाई (भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव) एवं द्रौपदी के साथ जंगल में निवास करते थे। एक दिन चारों भाइयों के साथ एवं द्रोपदी के साथ में युधिष्ठिर सुखपूर्वक बैठे हुए थे। उसी समय उनसे मिलने वेदव्यास जी आये। राजा युधिष्ठिर ने झट खड़े होकर आसन दिया और पाद्य अ
माघ स्नान-भारतीय संवत्सर का ग्यारहवाँ चान्द्र मास और सौर मास का दसवाँ माघ मास कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्र युक्त पूणिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा है। धार्मिक दृष्टि से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पाप मुक्त हो स्वर्ग लोक को जाते हैं।
‘माघे निमग्नाः सलिले
यह व्रत पौष शुक्ला तृतीया को किया जाता है। इस महान् तिथि को जगत् माता गौरी जी का राजोपचार से पूजन किया जाता है। यह प्रधानतया स्त्रियों का पर्व है। गौरी पूजन के प्रभाव से पति-पुत्र चिरंजीवी होते हैं तथा परम धाम भी सुगम हो जाता है।
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को भगवान लीला पुरूषोत्तम श्री कृष्ण के श्री मुख से गीता का प्रादुर्भाव हुआ। जो सब शास्त्रों वेद उपनिषदों का सार है। विश्व में आज इसके समान उच्च कोटि का ग्रन्थ नहीं है। सभी धर्म प्रेम इस परम पवित्र ग्रन्थ को पढ़कर इसे पढ़कर मनन कर वास्तविक स्थिति का दर्शन करते हैं।
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः।
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भगवान् दत्तात्रेय जी का जन्म मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को प्रदोष काल (सायंकाल) की बेला में हुआ था। महायोगीश्वर दत्तात्रेय जी भगवान् विष्णु के अवतार हैं, अतः इस दिन बड़े उत्साह के साथ दत्त जयन्ती का उत्सव मनाया जाता है। महर्षि अत्रि के तप करने पर भगवान ने कहा मैं अपने आपको तुम्हें देता हूँ। भगवान विष्णु ही अत्रि मुनि के यहां पधारे अतः इन्हें आत्रेय कहते हैं। दत्त औ