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Bhakti Baba Khatu Shyam

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shyam aarti

भक्ति संग्रह


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।। गोपाष्टमी ।।

कार्तिक शुक्ला अष्टमी को यह दिव्य पर्व मनाया जाता है। गौमाता के शरीर में सब देवता तथा गोबर में लक्ष्मी और गौमूत्र में गंगा जी का निवास है। अतः गौ पूजन से हमारा जीवन परम पवित्र होता, गौ माता की कृपा से समस्त शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिन गौ माता की पूजा करके गुड़ चने की दाल एवं मिष्ठान खिलाना चाहिए तथा मेंहदी या रंग से शरीर को जगह-जगह रंग कर सजाकर उनकी चरण धूलि मस्तक पर धार

।। सूर्य षष्ठी ।। (डाला छठ)

chhat pooja

भारत के लिए बिहार प्रांत का सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है सूर्य षष्ठी। सूर्य षष्ठी मुख्य रूप से भगवान सूर्यनारायण का व्रत है। इस व्रत में सर्वतोभावेन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के आधार पर प्रकृति देवी के एक अंश को देवशेना कहते हैं। जो सबसे श्रेष्ठ मातृका मानी जाती हैं। ये समस्त

II यमनदीप धनतेरस II

कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को सायंकाल में घृत का दीपक जलाकर सपरिवार-धान की खीली तथा बताशा रोली चावल आदि से दीपक का पूजन करें। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती है। फिर घर के बाहर आकर गोबर से चौका लगाकर चावल रख कर उसके ऊपर तिल के तेल का दीपक रखकर पूजन करें और श्रद्धाभाव से यमराज की प्रसन्नता के लिये यह दीप अर्पण करें। इससे दुर्मृत्यु का नाश होता है तथा यमराज एवं पितर गण प्रसन्न होत

भाई-बहिन का निर्मल प्रेम (सुभद्रा चरित)

Bhai dooj
द्वारिका पुरी में मैया देवकी के मन में विचार आया। कन्यादान बिना दान व्यर्थ है। एक कन्या तो होनी ही चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी मां की इच्छा पूर्ण की। एक कन्या का जन्म हुआ। होते ही रोना शुरू किया। 3 दिन 3 रात रोती ही रही स्तनपान भी नहीं किया। मैया देवकी ने श्याम सुन्दर को बुलाया और कहा। वत्स यह कौन से पाप का फल है। स्तनपान भी

।। हनुमान जन्म-महोत्सव ।।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में शिव जी ने अपने इष्टदेव की सेवा करने के लिये अवतार ग्रहण किया।

ऊर्जे कृष्ण चतुर्दश्यां भौमेस्वात्यां कपीश्वरः।

मेष लग्नेजनागर्भात प्रादुर्भूतः स्वयं शिवः।।

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी भौमवार की अर्धरात्रि में अंजना देवी के

।। यम द्वितीया भैया दूज ।।

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज एवं चित्रगुप्त का दावात् कलम का पूजन करना चाहिए। यह कायस्थ जाति का बहुत बड़ा पर्व है।

मसि भाजन संयुक्तं ध्याये महाबलम्।

लेखिनी पट्टिका हस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम् ।।

।। भैयादूज।।

(यम यातना काटनें की कथा-यमुना चरित)- भगवान् सूर्य समस्त प्राणियों के कल्याण के लिये निरन्तर भ्रमण करते हैं। अपनी किरणों द्वारा खींचकर बरसाते हैं। धूप से संसार को जीवनदान एवं पवित्र करते हैं। इसलिये सूर्य नारायण को संसार के चराचर प्राणियों की आत्मा कहते हैं। उनका पुत्र यम नरक में दारूण यातना देने वाला तथा पुत्री यमुना भगवान् श्री कृष्ण की पटरानी वात्सल्यमयी करूणामयी

।। बलि पूजा-गोवर्धन अन्नकूट ।।

कार्तिक मास की प्रतिपदा को बलि राजा की पूजा करनी चाहिए। जो मनुष्य इस दिन बलि की पूजा करता है, वह वर्ष भर सुखपूर्वक रहता है। शालग्राम की शिला में सभी देवी-देवताओं का पूजन हो सकता है।

।। नरक चतुर्दशी ।।

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहते हैं। सनत्कुमार संहिता के आधार पर इसे पूर्व विद्धा लेनी चाहिए। इस दिन अरूणोदय से पहले प्रत्यूष काल में स्नान करने से मनुष्य को यम लोक के दर्शन नहीं करना पड़ता। यद्यपि कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी इस तिथि विशेष को तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। जो व्यक्ति इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके शुभ

।। दीपावली महोत्सव ।।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यदि अमावस्या आ जावे तो चतुर्दशी को, न आवे तो अमावस्या को दीपावली महोत्सव मनाना चाहिए। वामन भगवान ने आज के दिन सब देवों एवं लक्ष्मी को बलि राजा के कारागार से मुक्त किया था। अतः सूर्याप्त के समय अमावस्या में प्रदोष के समय देवताओं इन्द्र कुमार एवं लक्ष्मी पूजन करना चाहिए तथा तीन रात्रि तक कमल शय्या बनाकर लक्ष्मी जी को शयन कराना चाहिए। इस