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कार्तिक शुक्ला अष्टमी को यह दिव्य पर्व मनाया जाता है। गौमाता के शरीर में सब देवता तथा गोबर में लक्ष्मी और गौमूत्र में गंगा जी का निवास है। अतः गौ पूजन से हमारा जीवन परम पवित्र होता
भारत के लिए बिहार प्रांत का सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है सूर्य षष्ठी। सूर्य षष्ठी मुख्य रूप से भगवान सूर्यनारा
कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को सायंकाल में घृत का दीपक जलाकर सपरिवार-धान की खीली तथा बताशा रोली चावल आदि से दीपक का पूजन करें। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती है। फिर घर के बाहर आकर गोबर से
द्वारिका पुरी में मैया देवकी के मन में विचार आया। कन्यादान बिना दान व्यर्थ है। एक कन्या तो होनी ही चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी मा
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में शिव जी ने अपने इष्टदेव की सेवा करने के लिये अवतार ग्रहण किया।
ऊर्जे कृष्ण चतुर्दश्यां भौमेस्वात्यां कप
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज एवं चित्रगुप्त का दावात् कलम का पूजन करना चाहिए। यह कायस्थ जाति का बहुत बड़ा पर्व है।
मसि भाजन स
(यम यातना काटनें की कथा-यमुना चरित)- भगवान् सूर्य समस्त प्राणियों के कल्याण के लिये निरन्तर भ्रमण करते हैं। अपनी किरणों द्वारा खींचकर बरसाते हैं। धूप से संसार को जीवनदान एवं पवित
कार्तिक मास की प्रतिपदा को बलि राजा की पूजा करनी चाहिए। जो मनुष्य इस दिन बलि की पूजा करता है, वह वर्ष भर सुखपूर्वक रहता है। शालग्राम की शिला में सभी देवी-देवताओं का पूजन हो सकता है।<
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहते हैं। सनत्कुमार संहिता के आधार पर इसे पूर्व विद्धा लेनी चाहिए। इस दिन अरूणोदय से पहले प्रत्यूष काल में स्नान करने से मनु
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यदि अमावस्या आ जावे तो चतुर्दशी को, न आवे तो अमावस्या को दीपावली महोत्सव मनाना चाहिए। वामन भगवान ने आज के दिन सब देवों एवं लक्ष्मी को बलि राजा के